ना रोई
ना रोई ना रोई
ये मेरा लठयाला
मी ही तेरी बोई
मी ही तेरु बाबा
बाबा णी घार
लाणकुन गयां टाका विदेश
मनख्युं मा लगी ठेस
डाल्युं मील आजीब भेष
ना रोई ना रोई
बाबा बाबा ना बोली
अपर मणमा बंधी गैड़ खोली
दूध भाता दगडी दुलअ
अब तु चुप होली
ना रोई ना रोई
तु मेरु मी तेरु सारु
बाथै जा बाथै जा छुछ
जीवन हमण कटेण
अब उनका ही सरू
ना रोई ना रोई
ना रोई ना रोई
ये मेरा लठयाला
मी ही तेरी बोई
मी ही तेरु बाबा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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