जओंला
चल दगडी जओंला
पहड़ घूमी ओंला
म्यार गों गोंल्युनो फिरी ओंला
अपड़ा पराया भेंटी ओंला
वख नारंगी की रसीली दाणी
कीन्गोड काफल की डाली
घुघूती हीलंस जाणी पंखी
उजड़ा पड़यूँ देख म्यार गड की झांकी
चल दगडी जओंला
सड़की मोडे गैनी
पर म्यार आपड़
अब तक णी मोडे णी
चखाल बनके कखक उड़े गैनी
चल दगडी जओंला
मील णी जाणी
खैरी की कमाणी
नीसड़ो बाटों गै
की जा कै हरची
चल दगडी जओंला
चल दगडी जओंला
पहड़ घूमी ओंला
म्यार गों गोंल्युनो फिरी ओंला
अपड़ा पराया भेंटी ओंला
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ