अकेला हँसता जाता है.
एक रिश्ता ऐसा भी
जो दुःख दर्द ले आता है
घाव मै वो देखो दोस्तों
अकेला हँसता जाता है.....
आंखें किसी की भीगी देख कर
अपनी आंखें क्यों भिगो जाता है
दर्द का ही वो रिश्ता है दोस्तों
जो अंशुओं बनकर बहता है
अकेला हँसता जाता है.......
तकलीफों मै घिरा हर वो शख्स
अपने से ही क्यों भागा फिरता है
एक वक़त ऐसा भी आता है दोस्तों
उस डर के साथ वो मारा जाता है
अकेला हँसता जाता है.......
पर्वतों को चीर कर झरने
बलखाती नदी का रूप लेती है
सर्पाकार वेदना मै बहकर
दुखों के सागर मै समा जाती है
अकेला हँसता जाता है.......
एक रिश्ता ऐसा भी
जो दुःख दर्द ले आता है
घाव मै वो देखो दोस्तों
अकेला हँसता जाता है.....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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