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बुरांश २०११

बुरांश २०११ 

बुरांश खिली आज यख 
लगणी च कीले उदास वख 
हम भूलगे बुरांस थै या
बोरंस भुल्गे आज वख 
बुरांश खिली आज यख 

हर कबीता छन्दा गीतो मा खिली 
पहली बार उपन्यास मा छपी 
मी थै भी लेलो अंग्वाल अब 
तुम्हरू च बस मेरु सरू अब  
बुरांश खिली आज यख 

हिमाल की विपदा च मेरी 
देवभूमी की कथा च मेरी 
रीटा डंडा रडद मनख्यूं सी 
हेरत आँखों की दशा च मेरी 
बुरांश खिली आज यख 

यकुली सी मी यख लगुली 
कण लगदी बल कदगुली
नंगी खुठ्यों मा देख छुची
अब काँटों की वो कच्बोली 
बुरांश खिली आज यख 

बुरांश २०११ को अब साथ 
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'को साथ 
और आप लोगों को प्यार 
जीवंत रहली देवभूमी की बोरंस
बुरांश खिली आज यख 

विषय - उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति पर केन्द्रित स्मारिका बुरांश 2011 के सन्दर्भ में .
प्रतिष्ठा में 
धन्यवाद जी और बधाई आपको .................

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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