उत्तरखंड चुनवा
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा
नेता जी अब घूम घुमा नेताजी अब घुमा
चुनवा की अब आयीं न्यारा अब आयीं न्यारा
म्यार गड देश देखा जी अब नेताओं की भरमार
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
कमल हाथ बेकार हाथी लालटेन ना ची तेल
अपक्ष उमेदवार को मची च कण देख अँधेरा
कण लगदा ये अब पहाड़ मा फेर शाम सवेर
बस मची सत्ता की भुख अब तू भी भूलह देख
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
भुख तीस मयारू गढ़वाल युंको उजडु सरू
पानी ना दे सकी पिणाकुंण दारू की च रेल पेल
टुंडा कैकी चुनवा जीतता जीती की फुन्ड दूर फैंका
कैन करना अब विश्वास पैला काई हमरु घात
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
अब विचार मी छु पड़यूँ कै थै अब की बार की थै जीतावों
को करलो म्यार गढ़ की सेवा को खीलालो मी थै पैड
भ्स्ताचार को दूर भगलो जन लोक पल बिल को लालो
म्यार गैर-सैण थै म्यार पहाड़ की राजधनी बनोलो
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
सब थै एक थाली का चटा बाटा खाकी मा णा अब जंचता
भरग्या युंक का नोटों का बस्त्ता मंहगे दगडी युंक रिश्ता
अब मी क्या करूँ ये मेरा देबता तू ही बता दे अब रास्ता
मयारू गड देश को हर एक बच्चा ध्यै लगदु अब तिथै आजा
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा
नेता जी अब घूम घुमा नेताजी अब घुमा
चुनवा की अब आयीं न्यारा अब आयीं न्यारा
म्यार गड देश देखा जी अब नेताओं की भरमार
कण सजी च देहरदुण कण सजी च देखा .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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