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मेरी तन्हाई


मेरी तन्हाई

मेरी तन्हाई क्या रंग लाई 
डोली सजाकर वो देखो 
ग़मों की दुल्हन आयी 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई .......

द्वार पर मातम ने शहनाई बजाई 
ढोल और बाजै मै ख़ुब होई लडाई 
बारातियों ने भी देखा आंखें छालकई 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई .............

शांत कोने मै चुप चाप पड़रहा 
पड़ोस मै गीता का शोर गुंज रहा 
चिता ने मेरे सात फेरे लीये 
आगा ने मुझे झकझोर दिया 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई...............

आग के फिनके की तरह उड़ रहा हों 
राख होते ही सकुन मीला
प्यासे तन को जैसे तन मीला 
आत्मा को परमानद मीला 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई ............... 

ऐसी मेरी विदाई होई 
तन्हा से तन्हाई होई 
कोशिश की थी मैने भी पर 
मौत भी मेरी हरजाई होई 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई ............... 


मेरी तन्हाई क्या रंग लाई 
डोली सजाकर वो देखो 
ग़मों की दुल्हन आयी 
मेरी तन्हाई क्या रंग लाई .......

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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