एक टीश च
मेरे कविता मा एक टीश च
मनख्यूं देख कण धीट चा
राडाद रहैन्दी फजल ब्योखनी
रात दगडी उनकी खास भेंटच
मेरे कविता मा एक टीश च
रुंतैला मुल्क मेरु गढ़ देश
ऊँचा ऊँचा हीमाला तू भी देख
म्यार ये चीपलाणु सा भेष
उजाड़ खाडू मयारू डंडूयूँ का देश
मेरे कविता मा एक टीश च
काला काला रेघ खिंचा
जख भी जावा वाख भींचा
प्रगती का मार्ग मा देख
झाडा टुका तक वा बीछा
मेरे कविता मा एक टीश च
पलायन एक समस्या च
लोगों का माण बस फिरयाँ छान
नीसडू का बोल्दा बस अब साथ च
उकाला मा बस खैरी की बातच
मेरे कविता मा एक टीश च
यख नारी की बल क्या बातच
मी थै भगवती तेरु ही साथ च
गैरसैंण मा बल गड अटकी राइणी
देहरादुन राजधनी की देख दहल-पैलच
मेरे कविता मा एक टीश च
मेरे कविता मा एक टीश च
मनख्यूं देख कण धीट चा
राडाद रहैन्दी फजल ब्योखनी
रात दगडी उनकी खास भेंटच
मेरे कविता मा एक टीश च
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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