आगे बड़ो तुम
किस्मत से ना हरो तुम
चाहे वो तुमसे कितना खेले
चलो निडर बनो आगे बड़ो तुम
पथ ने कितने कांटें लाख बिछे
किस्मत से ना हरो तुम...
लहू लुहन पग को ना देख
उस पथ मे आगे बड़ो तुम
एक मात्र लक्ष्यः हो तुम्हरा
इस लक्ष्यः से कभी ना भटको तुम
किस्मत से ना हरो तुम...
संभालो विनाश होने से इस धरा को
ये सी कथनी करनी ना करो तुम
आपनी इस वाणी और इस जीव्हा पर
जरा सी लगाम अब धरो तुम
किस्मत से ना हरो तुम...
नारा गूंजा सत्य का अब
सत्य की रहा पर अब मिलकर चलो तुम
एक माशाल कंही दूर जली आशा की
इस मशाल को ना अब बोझाऊ तुम
किस्मत से ना हरो तुम...
किस्मत से ना हरो तुम
चाहे वो तुमसे कितना खेले
चलो निडर बनो आगे बड़ो तुम
पथ ने कितने कांटें लाख बिछे
किस्मत से ना हरो तुम...
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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