अब
अब मै भी जान गया हों
लोगों को पहचान गया हों
बातों से आपने ही हर गया हूँ
कलम के आपने पार गया हूँ
लोगों को पहचान गया हों
मौका मील मै भी ताड़ गया हूँ
ऐसे कैसे मै सबसे हर गया हूँ
अब मै भी जान गया हों
धन की मंडी मै बिक गया हों
मर मर के मै भी जी गया हूँ
लोगों को पहचान गया हों
आवाज दी थी कभी हजरून नै
आज विरानो मै गुम होआ हूँ
अब मै भी जान गया हों
एक हस्ती थी मेरी भी
उस बस्ती ना जाने कहाँ खो गया हों
लोगों को पहचान गया हों
अब मै भी जान गया हों
लोगों को पहचान गया हों
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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