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आंचल


आंचल 

आंचल जो लहराया 
दिल फिर धोख खाया 
कैसी कशिश कैसा नशा
होके जुदा भी ना रहा जुदा 
आंचल जो लहराया .......

पल पल दिल गहराया 
राहों से जा टकराया 
जहँ मिले थै हम कभी 
साथ चले थै हम कभी 
आंचल जो लहराया .......

ओ यादो की शाम थी 
गम भी और बरसात थी 
बीते लहमों की बात थी 
वो अब भी साथ साथ थी 
आंचल जो लहराया .......

किस कोने ने चटकाया 
शीश कांह गीरा पाया 
दर्द को पीकर भी अब तक
क्यों यकीन ना आया 
आंचल जो लहराया .......

बेवफई का मंजर था 
खुदाई का वो सफर था 
उसके ना होने पर भी 
सुफीयान सा ओ डगर था 
आंचल जो लहराया .......

अब भी रहा तक हों 
अब भी आस मंद हों 
हो जाये वो असर कभी 
अब भी उस पथ पर हों 
आंचल जो लहराया .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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