ADD

मी हरची


मी हरची 

परदेश जाकी हरची गयुं 
आपरा बाटा बिसरी गयुं
गढ़ देश गढ़वाल थै भुली गयुं 
अपर भेसा मी बदली गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

रिती रिवाज मी भुली गयुं 
सुट बुट टै हैट पहनीकी 
कुर्ता सुलार झबा टोपलू 
रोलूं गदनीयुं फैंकी गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

माया का बाथों इण झुली गयुं 
बिरण मुलुक मा इण अटकी गयुं 
चार दीवार मा भटकी की गयुं 
विस्की रम दगडी सुधरी गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

लेटा की चाकाचोंद मा 
फरेब का कला चस्मा पहैणी गयुं 
होटल की नोकरी कैकी 
अपर घार चुलह जलण बिसरी गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

अहंकार अभिमान दगडी 
अपर जीवन झुल्स्ही गयुं 
गंगा कण कैली अस्थी विसर्जन 
यखा का समोदर मा घुली गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

परदेश जाकी हरची गयुं 
आपरा बाटा बिसरी गयुं
गढ़ देश गढ़वाल थै भुली गयुं 
अपर भेसा मी बदली गयुं 
परदेश जाकी हरची गयुं ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


बालकृष्ण डी ध्यानी 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ