फ़ैलयुं भ्रष्टचार
घार घार फ़ैलयुं भ्रष्टचार
दूँण णी मार पहली बाण
गद्दी मा बैठयुंच सरताज
गढ़ का हूँयांच बुरा हाला
पल्याँन मार से गढ़च परेशान
गामा खाली पड़यां छन अब ये धाम
कामणी धणी मार्ग बंद छन
जाण हमुला जाण कैका घार
गढ़ का भी हूँयांच बुरा हाला
महंगाई बडगे ना रहगे कुछ काम
उजड़ा पडी डंडी बंजा पुंगडी गढ़ धाम
सरकार पडी सीयीं च हमरी
घुस खैणी बगैर कुछ ना अब कम
गढ़ का भी हूँयांच बुरा हाला
लुट माची च लुट याखा अब
जावा जख भी अब ये धाम
बिता दीणु याद रेगै बीती वो बात
बल कब आलो पहाडमा ये प्रभात
गढ़ का भी हूँयांच बुरा हाला
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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