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धगोली-थगोली


धगोली-थगोली

धगोली धगोली थगोली थगोली
मेर बोये तो कखक होली
बिराण मुल्क बिराण बाटा
बोये क्या होलो पर परबता 
धगोली धगोली थगोली ........

आणी छे याद एक एक बाता
वो पहाडा की राता वो कूड़ा वो बाटा
घिर घिर आणी वहाली बरसता 
अन्ख्युं मा छेगै बोये अंशुं की धार 
धगोली धगोली थगोली ........

बोई याद आणु वो बालपन को दीण 
कभी स्कूला कभी सरीयुं कभी डालीयुं दीण 
कभी डगडीयुं कभी मैत्र कभी भै भैणु गीण 
हींशोला काफल कींगोडा छे हम टिप 
धगोली धगोली थगोली ........

कब हम बड़ा होयां कब ग्याई बचपन छीन
धयाडी कमाण वास्ता गढ़ भी छुट ग्याई 
मण मारी की बैठीं छुं सात समुद्र पार 
बोई कब आलो ओ दीण कब हम वाला साथ 
धगोली धगोली थगोली ........

धगोली धगोली थगोली थगोली
की बस अब रैगे इण साणी मा याद 
बोई बाबा दादा दादी ये मेर गढ़ देश 
ते थै च मयारू सत सत प्रणाम 
धगोली धगोली थगोली ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


बालकृष्ण डी ध्यानी
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