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ना बणी



ना बणी

ड़णड़ टुक सडकी गैनी
ना बणी कुछा भी काम 
काम धाम ध्याड़ी नीच 
नीच अब कुछा भी काम 

उजाड़ धड पुंगड़ होयां 
सारीयुं मा नीच धान
तीसा रुल्याँ गद्न्यान
तीसा अब ये गड धाम

ऊँचा ऊँचा शिखर हमरा 
वख हमरु देबतों को धाम 
देवभूमी हे उत्तरखंड 
ना मिली यख हम थै काम 

रीटा गों गोठ्यार वहयेगै 
डाणड़ तार तार वहयेगै 
बची छे जै खेती जै सायरी 
सुन्घरों बंदरों अधिकार वहयेगै 

बची कसर दगडी सरकार मोरीगै
गों का विकास योजना देखा 
कपड दगडी लगुली मा सुखी गै 
अब बथों मा भी देख कर लगी गै 

यला छाला पल छाल 
सब सब टुंडा पड्यांण छन
घार घार मा मेरो दिदो 
छुटा भूलह भूली भुक्या सीयां छन 

पल्याँन समस्या ग्रस्त होयां छन 
उन्दारों बाटा मा रुडया छन 
उकाला विपदा का खैरी मा 
अब फिनका पड्या छन 

ड़णड़ टुक सडकी गैनी
ना बणी कुछा भी काम 
काम धाम ध्याड़ी नीच 
नीच अब कुछा भी काम 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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