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बरखा


बरखा 

ऐगै भरमणत 
ऐगै झणमणत 
ऐगै बरखा बरखा बरखा 
छणमणत 
ऐगै भरमणत 
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२ 

पहाड़ों मा छेगै 
ऐगै धडधडहट
सरर र र बरखा की धार 
पुआडै सारी रात 
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२ 

कवि मण त्यांसु रहैगै प्यासु
बरखा धार एक रेखा 
उजाड़ जीकोडी बाण हरीयालु
गों बाटा पुंगड़ डाणड़ 
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२ 

बरखा की सैर 
घार घार गाम गाम 
बद्री केदारनाथ धाम 
ऊँचा ये कैलाश थान
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२ 

ऐगै भरमणत 
ऐगै झणमणत 
ऐगै बरखा बरखा बरखा 
छणमणत 
ऐगै भरमणत 
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२ 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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