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एक नयै आशा


एक नयै आशा 

बेटी थै पडै लिखै 
एक नयै दिशा दिखा 
पहाडा की सोच मेरी 
हीन्शोंला सी मेर दाणी 
एक नयै आशा 

नारी शक्ती को प्रताप
बंच्च्युं ये गढ़ देश आज 
छोटा छोटा हाथों मा बंगडी 
माथा मा गढ़ का टीका आज 
एक नयै आशा 

देखण च गढ़ पलायन आज 
औरतों णी थमीच अब कमान 
दारू मुद्दा हो राज्युं को सुधार
मा भगवती तेरु च पुड़कर
एक नयै आशा 

बंधा दै धाडस लगा दै माया 
गौरी तिल बदलणी गढ़वाल की कया 
माता भावनी ये बेटी ब्वारी 
तै मा जुडी अब मेर देश की छाया 
एक नयै आशा 

एक प्रभात आलों 
गढ़ देशा मा तेरो उपकार रहलो 
चोंह देश अब धणी वहाली 
म्यार देशा मा अब राजी खुशी आली 
एक नयै आशा 

ना हर माण ना विपदा बिंगा 
भैर गाम गें भै दिदों थै दिखा 
हमरा गढ़ देश कम धमा णी हर्ची 
क्या करण तील वख जब रोप्या खर्ची 
एक नयै आशा 

बेटी थै पडै लिखै 
एक नयै दिशा दिखा 
पहाडा की सोच मेरी 
हीन्शोंला सी मेर दाणी 
एक नयै आशा 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


बालकृष्ण डी ध्यानी 
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