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पहाडा की दाणी


पहाडा की दाणी

देखा पहाडा की दाणी....२
कदग रौतेली स्वाणी 
टोपला धरैकी मुंडमा बाड़ा 
क्या पीड़ा तु छुपाणी 
देखा पहाडा की दाणी....२

अंखी तेरी छुयीं लगाणी
गीचडी हंसैकी क्या जाताणी 
उमली बदला फिरणा वाला 
जीकोड़ी भीतरी गडगडणा वाला 
देखा पहाडा की दाणी....२

कपाली रेघ क्या बताण आजा 
खैरी विपदा कुच ये भाग 
बोये उजाडु महीनु कु साथ 
बाबा कब आलु ये गढ़ प्रभात 
देखा पहाडा की दाणी....२

रीटा रीटा हेर हेर 
डाणडी कणडी मा डैर डैर 
को भग्याण आलों 
चकोली बणकी बाणम 
गढ़ छुडीकी सब उड़गै भैर भैर 
देखा पहाडा की दाणी....२

चिंता चिंता अब घैर घैर 
शाम सबेर भीतर भैर 
कभी मैला सैर कभी तैल सैर 
कभी पुंगडा कभी डाणड़ घैल
यणी फिरणु मी मैल मैल 
देखा पहाडा की दाणी....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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