देर
आज के परिक्षेप मै
अंतर बस इतना
ख़त का भरोसा था उन्हे
स.मै.स से बात हो गयी
आँखों की दरकरार
ऐनैक आड़ छुप गयी
बरसात के मौसम मै
साथ साथ बह गयी
स.मै.स से बात हो गयी
रिश्ता ऐसा था
निभाता चला गया
दिल की बातों का
दर्द भुलता चला गया
स.मै.स से बात हो गयी
कभी बैठा ना पास
बस मोबाइल था साथ
अंगुलीयाँ दब दबकर
वो कंह रात खो गयी
स.मै.स से बात हो गयी
जीवन की कठनईयां
मेरे साथ हो गयी
ख़त मै लिख ना सका
अधुरी बात रह गयी
स.मै.स से बात हो गयी
चार बातें कह नी थी
पन्ने और स्याही खोगयी
मेल मील ना सका ऐसा
तब तक बहुँत देर हो गयी
स.मै.स से बात हो गयी
आज के परिक्षेप मै
अंतर बस इतना
ख़त का भरोसा था उन्हे
स.मै.स से बात हो गयी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीतबालकृष्ण डी ध्यानी
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