भटकण लग्युं
घार दुंण झटकण लग्युं
भांड भांड पटकण लग्युं
लात घुसा धमकण लग्युं
रात दिन भटकण लग्युं
सवेर सवेर अब बड बडण लग्युं
चुलह जणी मी अब जलण लग्युं
गुड गुड गुडगुडी सी चौकमा अब गड गडण लग्युं
नुँना नुँनी दगडी अब खिलंण लग्युं
दोपहरी का घामाण मी गालण लग्युं
डाला का छलु मी अब बैठाण लग्युं
गोउरों का पीछा अब मी हक़ण लग्युं
उनकी गाल घंटी सी अब मी बजण लग्युं
शाम का शैलु घाम अब पैटण लग्युं
दिन भरा को कम से अब मी थकाण लग्युं
अपर घार की ओर अब मी चलण लग्युं
थका थक खुटी थै अब मी मश्ल्याण लग्युं
राती की बाती थै अब मी बलण लग्युं
खाण खै की बिस्तर अब मी पड़ण लग्युं
आपर दगडी रात बेली मी अब बचाण लग्युं
सप्नीयुं मा बस मी अब हस्याण लग्युं
घार दुंण झटकण लग्युं
भांड भांड पटकण लग्युं
लात घुसा धमकण लग्युं
रात दिन भटकण लग्युं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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