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माँ


माँ

तेरे छुने का अहसास 
सदा मेरे साथ साथ 
वो पल छिन ओ बात 
आज भी मुझे याद 
माँ तो यंही कंही आस पास 

९ महीने का साथ 
तेरे गर्भ की है बात
अंकुर बन सींचा हों 
तेरे लहूँ के साथ 
माँ तो यंही कंही आस पास 

देख मैने ये जंहा 
तेरे आँचल मै आज 
तेरे दुध की धार के लिये 
रोया मै पहली बार 
माँ तो यंही कंही आस पास 

विश्व को देखा मै घबराया 
तेरे स्पर्श मात्र सै चैन आया 
जीवाह भी जब लप लपटाई 
तब माँ कहकर उसने आवाज लगाई
माँ तो यंही कंही आस पास 

माँ सुनकर तु दुआडी आयी 
सीने लगाकर मेरी आत्म त्रिप्त कराई 
मै बड भागी की मैने माँ पायी 
माँ शब्द मै सारी स्रीशटी है समाई 
माँ तो यंही कंही आस पास 

बचपन मेर बना मधुबन 
माँ जब तु है मेर संग 
उदास रहती ये आंखें तेरे बिन 
झलक मात्र से उगता है मेरा दिन 
माँ तो यंही कंही आस पास 

भविष्य की चिंता तेरे माथे गहराई 
हाथ पखाड़ गुरुकल रहा दीखाई 
पथ पथ पर अब तेरी ही याद आई 
निश्छल प्रेम की परीभाष कहलाई 
माँ तो यंही कंही आस पास 

तेरे ना होने का अहसास 
याद दिलता है मुझे हर बार 
चाँद तारों मै बसी कहनीयाँ लेके माँ 
आजा मेरे सपनो मै आज 
माँ तो यंही कंही आस पास 

आज बूढ़ा हो फिर मुझ को याद 
बच्चों के बच्चों मै ढहोंडों तेरा साथ 
आँखों मै बहती है अब गंगा की धार 
दिल मेर कहता माँ माँ माँ अब भी बार बार 
माँ तो यंही कंही आस पास 

तेरे छुने का अहसास 
सदा मेरे साथ साथ 
वो पल छिन ओ बात 
आज भी मुझे याद 
माँ तो यंही कंही आस पास 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी

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