हुयंद जम्युंचा ये गढ़ मा
सवेर ये गढ़ देशा मा
हुयंद पड़युं ये पहाड़मा पहाडमा
बुरंस खिला तेयुं डालियुं मा
हुयंद बिछों फुल पंखी मा
सवेर ये गढ़ देशा मा ..........
चंमकण लगी पत्ती पत्ती
जाण वहाली रत्ना की कणडी
कंण शरर्म्यणी लज्जाणी वा
राता की जण छुंयीं लगादी वा
सवेर ये गढ़ देशा मा ..........
हुयंद जम्युंचा ये गढ़ देशा मा
रुल्युं गदनीयुं का भेषा मा
गढ़ छुडी की दूर गयांन उंचा उड़यां
पखा पखा आकाश का रेघा मा
सवेर ये गढ़ देशा मा ..........
हुन्दु णी जंमदु ये परदेशा मा
यकुली यकुली मण का गेडा
एक गेडा मण का गेडा मेरा
गढ़ मा छुडों ऐक पैला गेडा जी
सवेर ये गढ़ देशा मा ..........
सवेर ये गढ़ देशा मा
हुयंद पड़युं ये पहाड़मा पहाडमा
बुरंस खिला तेयुं डालियुं मा
हुयंद बिछों फुल पंखी मा
सवेर ये गढ़ देशा मा ..........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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