कैसा है ये प्रीत है ?
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है
दर्द ऐसे ही रिसता है
दिल बीच रहा तडपत है
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है .......
बचपन से पलता है
अपने तन ढलता है
मन मन पर बदलता है
सुख दुःख की जंग वो लड़ता है
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है .......
जब वो बड़ा होता है
एक नया रिश्ता पलता है
प्रेम का गुल खिलता है
पुराना रिश्ता काटों सा तब लगता है
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है .......
कैसे छुड जाते अपने अपनों को
कैसे तोड़ जाते है सब सपनो को
क्या पुरानी याद वंह खो जाती
प्रीत के लिये परायी हो जाती है
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है .......
माँ बाप को दर्द वो रुलता होगा
जब भी दिल से तुम्हे पुकार होगा
जीवन के आखरी मोड़ के छोर पर
तुम को भी वो दिन याद आता होगा
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है .......
क्या ऐसा भी होता है
एक रिश्ता चुप चाप रोता है
दर्द ऐसे ही रिसता है
दिल बीच रहा तडपत है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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