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फुटपाथ


फुटपाथ 

आंखें करे बयाँ 
दर्द है अब जवां
दुःख का पास है 
अब अंशुं साथ है 
आंखें करे बयाँ ........

माथे पर शिकन 
कैसी है उलझन 
तडपता बस मन 
रूठा है हम से बचपन 
आंखें करे बयाँ ........

नीर अब बहा ले
धीर अब बड़ा ले 
उलझे सवालों मै 
गेसुओं को सुलझा ले  
आंखें करे बयाँ ........

चीख निकलती है 
कहराती रहती है  
सन्नाटे मै अकेले मै 
खुद को समझती रहती है 
आंखें करे बयाँ ........

कोई नहीं यंहा 
ना कोई आयेगा यंहा 
अकेले की यह जंग है 
बस दुर खड़ा वो अब बचपन है 
आंखें करे बयाँ ........

सीमा नहीं दुःख की 
ना कोई अपनापन है 
फुटपाथ पर बसेरा 
सर पर खोला ये वतन है  
आंखें करे बयाँ ........

आंखें करे बयाँ 
दर्द है अब जवां
दुःख का पास है 
अब अंशुं साथ है 
आंखें करे बयाँ ........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत


कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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