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मैं


मैं

मैं क्या सोचता हूँ
मैं क्या खोजता हूँ
सोचने और खोजने में
अक्सर ही मै कुछ भूल जाता हूँ
मैं क्या सोचता हूँ.............

जाना होता है कंही ओर
कंही ओर चला जाता हूँ
खोजते खोजते में अक्सर
अपने ही पथ से भटक जाता हूँ
मैं क्या सोचता हूँ.............

ना अब तक मै सोच पाया
क्या मै सोचता हूँ
अब तक ना खोज पाया
जिसके लिए बाहर निकलता हूँ
मैं क्या सोचता हूँ..............

ये सिलसिला चल रहा है
अनंत से किसी को ठीक से पता नही
पर सब सोचते जा रहे है
ना जाने क्या खोजते जा रहे हैं
मैं क्या सोचता हूँ..............

मैं क्या सोचता हूँ
मैं क्या खोजता हूँ
सोचने और खोजने में
अक्सर ही मै कुछ भूल जाता हूँ
मैं क्या सोचता हूँ.............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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