ADD

शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी,


शाएरी शाएरी अब तुम्हारी शाएरी,

************************************************** *****

************************************************** *****
उठा डंडा यूँ भागा मैं , ध्यानी हिंदी हिंदी लागा मै
हिंदी दिवस है आज ,हिंदी के मौन से ना जागा मै

ध्यानी बोल देता है


************************************************** *****
मेरे शरीर ने मेरा साथ देना छोड़ दिया
अपनों ने जब मुझे आवाज देना छोड़ दिया
लगता नहीं दिल इन गैरों की महफ़िल में
मैंने अब वंहा पर आना जाना छोड़ दिया

ध्यानी बोल देता


************************************************** *****
कुछ अलग लगता हूँ मै,जब गैरों में रहता हूँ मै
जब अपनों में आता हूँ ,मैं नही हम हो जाता हूँ मैं

ध्यानी बोल देता है

************************************************** *****
बड़े से बड़े मुश्किलों में घिरा फंसा था मै
अपनी तकलीफों से यूँ पीटा था मै ध्यानी
बस तेरा वो मुस्कुराना ही काफी था ये माँ
इस सर को तेरे चरणो में झुकना ही काफी था

ध्यानी बोल देता

************************************************** *****
माँ के हाथों के दो चांटे याद रह गये तुझे ध्यानी
पर बाद में उसी गाल को चूमा था वो तू भूल गया
वृद्ध आश्रम में ढूंढती है वो तुझे दो प्यारी आँखें
जिन आँखों को तू अब चूमना पूछना भूल गया

ध्यानी बोल देता

************************************************** *****
अब तो हमको ही हम से धोखा हो गया
जब गैरों पर अपने से ज्यादा भरोसा हो गया

ध्यानी बोल देता है

************************************************** *****
भारी भीड़ आ रही थी मेरे जनाजे के पीछे पीछे ध्यानी
जीते जी तो खाली था मै मरने बाद भरा सा लगने लगा


(वाह रे जमाना तेरे कितने रंग सुख में दिखे संग दुख में दिखे तेरे बिगड़े ढंग
चलो यार साले को निपटा देते हैं सिन्कोली आज ही जाना था टैम खराब करके चला गया यार )


ध्यानी बोल देता है

************************************************** *****
आँखों ने देखा तो वो हंस दिया
दिल छुपा था वो चुप रो दिया

ध्यानी

************************************************** *****
छोड़ना कितना आसान है उन राहों को ये ध्यानी
फिर वंही पर लौट पाना कितना मुश्किल
एक लकीर जो खिंच गयी दो तकदीरों बीच
फिर मिला पाना कितना मुश्किल ऐ रब कितना मुश्किल

ध्यानी

************************************************** *****
ऊपर जाने को सब यंहा खड़े बेकरार हैं
वक्त जो आया तो क्यों करे इनकार है

ध्यानी

************************************************** *****

आजिज़ नही होना कभी खुद से ये बंदे
आदत लग जायेगी फिर यूँ हार मानने की
(आजिज़ =शक्तिहीन, उदासीन)

ध्यानी प्रणाम

************************************************** *****
जब छोड़ के तेरी दुनिया को मै चला जाऊँगा ध्यानी
लगता है तुझे बस मै तन्हाईयों में ही याद आऊंगा

ध्यानी

************************************************** *****
परेशान मन
अशांत कर के ये तन
आकुल है ये बहता जीवन
चिंतातुर गहन विषय बड़ा
वो विक्षुब्ध दिल क्या बोले चल
अताह सागर जल तल
पूर्ण होगी कविता मेरी कल कल

ध्यानी

************************************************** *****
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ