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फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम


फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम
फिर साथ अपने ले जाओगी तुम
फिर वही कहानी दोहराओगी तुम
फिर अकेला मुझे छोड़ जाओगी तुम
फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

फिर लेना पडेगा मय का सहारा
फिर कर गई मुझे अपना बनाके बेगाना
फिर अब ना दिखे मुझे कोई किनारा
फिर भी दिल ने मेरे तुझ को ही पुकारा
फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

फिर अंधेरों में गुजर रहा मेरा बसर
फिर से खड़ा हुआ है मेरा वीराना शहर
फिर मेरे क़दमों का यहां शुरू हुआ है गुजर
फिर भी मेरे संग जुड़ा तेरे यादों का सफर
फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

फिर समंदर सा ये आसमान क्यों है बना
फिर मेरी डूबती कश्ती को नया जहां है मिला
फिर एक बार उन प्यार की बूंदों ने मुझको छुआ
फिर नये सपनों को लिये कुछ इस दिल ने बुना
फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम
फिर साथ अपने ले जाओगी तुम
फिर वही कहानी दोहराओगी तुम
फिर अकेला मुझे छोड़ जाओगी तुम
फिर ख़्वाब लेके आयी हो तुम

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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