अलग थलग
गम अश्क बहती होगी
खुशी आंखें छलकती होगी
गरीबी नचाती होगी
अमीरी तडपती होगी
कभी अकेली होगी
कभी संग सहेली होगी
ये सी प्रीत होगी
अलग थलग या जुदा होगी
मन मीत होगी
या जग प्रीत होगी
कभी हार होगी कभी जीत होगी
कभी दुर तू कभी करीब होगी
जींदगी के फैरे मै
रात कभी तू कभी सवेर होगी
गम अश्क बहती होगी
खुशी आंखें छलकती होगी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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