सर्द रातों मै
सर्द ठीठोरती रातों मै
उनक हाथ मेरे हाटों मै
लबों पे इंकार लिये होये
आँखों मै इकरार लिये होये
साथ मै मुस्कान लिये होये
सर्द ठीठोरती रातों मै
खानोश है अब समा
रात भी है अब जँवा
चाँद की बारत लिये
तारों का साथ लिये
बैठा था मै उनका
हाथ हाथों मै लिये
सर्द ठीठोरती रातों मै
एक पहेली बना खड़ा ये कल
हमारी सहेली बान ये पल
ख़ुशीयों कै सोगात लिये
आपनो का प्यार लिये
हाथों मै हाथ लिये
सर्द ठीठोरती रातों मै
दिल ये चाहे उनका साथ रहे
कयामत तक इन हातों मै उनका हाथ रहे
गुजारीश है इस कायानात से
सदीयों तक उनका साथ रहे
रात से सुबह तक और
सुबह से रात तक ओ मेरे पास रहे
पल पल बडतै पल मै
उनका हाथ हमरे हाथों मै रहे
सर्द ठीठोरती रातों मै
सर्द ठीठोरती रातों मै
उनक हाथ मेरे हाटों मै
लबों पे इंकार लिये होये
आँखों मै इकरार लिये होये
साथ मै मुस्कान लिये होये
सर्द ठीठोरती रातों मै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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