जीकोड़ी
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे
मेर जीकोड़ी बाता दे तु
कखक तु भटकी छे
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे
आल्य डंडा मेरा
पाल्या डंडा तु कंण उजड़ी गै
पुन्गाडु मेरु मी थै बाता दे
कंण बंजा पड़यूँ छे
तु अपड़ी छुंयीं लगा मी थै बता दे
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे.................
ये कुड़ी ये दारा विपदा बाते दे
याद ओंदी क्या घारा मी थै बता दे
सन्घुल लाग्यां लाग्यां ताला मी थै देखे दे
बसंत पंचमी कंण झुमैल बहारा
ये गढ़ देश ये मेरा गाढवाला मी थै बता दे
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे.................
जख भी जणु मी
तु वख वख आणु छे
बिता दिणु की कीलें
तु याद दिलाणु छे
रूअडी गैणी जै सड़की ध्यै लगाणी छे
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे.................
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे
मेर जीकोड़ी बाता दे तु
कखक तु भटकी छे
मै दगडी छे तु
फिर भी हरच्युयों छे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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