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मी छुओं उत्तरखंड़ी

सुण गड्वाली कोलावारी आजा

मी छुओं उत्तरखंड़ी

ओ दगडीया
कथा सुणा दू
उत्तराखण्ड की
मेरा गढ़ देशा की
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
ठीक च भैजी
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
ठीख च भूलह ठीक
मी छुओं उत्तरखंड़ी ....रै

ऊँचा निचा निचा ऊँचा
ऊँचा निचा यख डाणडा
तेडा मेडा मेडा तेडा
तेडा मेडा यख बाटा

मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै

बुरंस खिला खिला बुरंस
बुरंश खिला यख डाली डाली
बांदा तो लसका ढसका देखा
लसका ढसका देखा ये बारी


मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै

बोई समन्य
अब तू भी सुणलै बोई अच्छा
बेडू पाको बेडू पाको बेडू पाको पाको पाको रै
ऐबार बोई मजाक णी
बराबर
एक दुई तीन चार

कुछ बदली की बोई
ठीक च अब सुण

मेरी बोली
कुमो-गढ़वाली बोली
बस गढ़वाली मा

मेरी बोली
कुमो-गढ़वाली बोली
णा बणी णा बणी ये भाषा
बोली ऐ बोली ही रैगे
जाण गैरसैण आज
गढ़ देशा की राजधानी
शहीदों की वा आशा
दूँण ऐ दूँण ऐ दूँण ऐ दूँण ऐ दूँण ऐ आज
सरकार की चला चली
ऩुआणा बोल्दी अब
पाडी पाडी णा बोला आजा

कण लगी तुम थै
काया मीलालू तुम्हरी अश्रीवाद

मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै
मी छुओं उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी उत्तरखंड़ी रै

जय उत्तराखण्ड जय भारत


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत


बालकृष्ण डी ध्यानी 
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