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गुमनाम जीवन


गुमनाम जीवन 

यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा 
कंही फुल बन मुस्कुराऊंगा 
कंही नैना नीर छोड़ जाऊंगा 
क्या फिर याद तुमको मै आऊंगा 
यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा ...................

कलम पडी मिलेगी कंही 
पन्ना वंही पर कोरा होगा 
शब्द बिखरें बिखरें होंगे 
अक्षर गुमसुम लगे होंगे 
क्या फिर भी याद तुमको मै आऊंगा 
यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा ...................

अकेला था अकेला रह जाऊंगा 
उस कोने आज बैठा पाऊंगा 
लिखने की कोशिश करूंगा 
पर लिखना कुछ पाऊंगा 
क्या फिर भी याद तुमको मै आऊंगा 
यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा ...................

सांसें चलते चलते 
एक दिन छुट जाऊंगा 
रेखाओं की सिर्फ एक लाईन 
मै उसमे खो जाऊंगा 
क्या फिर भी याद तुमको मै आऊंगा 
यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा ...................

यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा 
कंही फुल बन मुस्कुराऊंगा 
कंही नैना नीर छोड़ जाऊंगा 
क्या फिर याद तुमको मै आऊंगा 
यूँ ही गुमनाम खो जाऊंगा ...................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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