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राह मेरी बेफिक्र वाली




राह मेरी बेफिक्र वाली 

मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ
अपने वाणी मोतीयों में तोलता हूँ 
जग में यूँ ही मै डोलता हूँ 
मुख खोलता हूँ सत्य ही बोलता हूँ 
मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ.................

फर्क नहीं पड़ता दिल दुखता है दुःख जाये 
पीछे पछताने से अच्छा है मेरे सामने वो रो जाये 
दो शब्द कटु आज वो कल अमृत बन जाये 
पथ से भटका पथीक उसे रहा मिल जाये 
मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ.................

आँख में पड़े कण तुरंत अश्रु धार निकले
मन में पड़े पाप को तू जीवन भर क्यों ढोये
आज की बात आज कर कल ना आया है ना आयेगा कभी 
सोच समझ कर तू भी अब मेरे साथ चल 
मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ.................

मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ
अपने वाणी मोतीयों में तोलता हूँ 
जग में यूँ ही मै डोलता हूँ 
मुख खोलता हूँ सत्य ही बोलता हूँ 
मै बेफिक्र होकर बोलता हूँ.................

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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