माया कू बाजार छोड़ दे
धोखा, छल - कपट कू मेल
देख देख ले ऐ मायो कू खेल
प्रपंच लगयुंचा आज सरै बजार
क्ख्क नी बिकेनी ऐ माया कू सार
ऐमा लगयूँ चा सुपनीयु का चाल
सबथै छोडीकी ऐमा लगयूँ बस ध्यान
जिकोडी की दौड़ च मोह कू बाण
इंद्रजालू कू भास आत्म कू प्रारण
टक्का कू टकारहट देख ले च्कढ़त
बजणा च आज हर गौं-शैर मा आज
सुनले तू भी अब ऐकी झंकार
बिसर जा अबै भी ना गै वो बात
बैठा जा थोडू सोचु ले ऐ दिल की
बोल दे देवभूमी मा अब त हरी हरी
धोखा, छल - कपट कू मेल
देख देख ले ऐ मायो कू खेल
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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