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तुम जबै मिल्याँ



तुम जबै मिल्याँ

तुम जबै मिल्याँ छों, तबरी ऐ लगनू छा
की ऐ दुनिया मिलगै
एकी भटकी बाट बिरडी थै , लोगों का जथा मिलग्याई

बैठा णा दूर हम दगडी देखा रुशे णा तुम
भग्या मा मिल्याँ छों ,मिलकी कख दुराणा छों
मेर क्या गलती छ , होंदों च इन भी
की धरणी दगड़ कबै, वो आकास मिलग्याई

तुम क्या जणदू, क्या छो तुम
एक मीठू गीत छो
भीगा राती का मस्ती कु , तपता जीयूं को छालो छों
अबै जबै ऐग्यो यख , जाणा कु णि दोंलूं
के मीथै एक स्वाणु , गेल्या मिलगयाई

तुम भी छा बीरडी बीरडी , मी भी छों बुझी बुझी
छे अंजाण दुनिया ,अपड़ो यख कोइ णा
जीयु कु जै मिली छे , तेरु सारु
एक नैय दुनिया की, बाटू मिलग्याई

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
चित्रपट :हँसते जख्म ......बोल छन तुम जो मिल गये हो ....
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण
बालकृष्ण डी ध्यानी
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