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बुत



बुत

बुत
बना हो मै
देखो
कैसा ताना मै
समझो
ना समझा मै
क्यों
बुत
बना हो मै

खेत
मै खड़ा मै
चौरहे
पर पड़ा मै
निर्जीव
सड़ा हो मै
क्यों
बुत
बना हो मै

नोकरी
वो सरकारी
आरक्षण
से दबा हो मै
दब दबके
वंही पडा हो मै
क्यों
बुत
बना हो मै

सीख
मीली मुझको
बिलकुल
सीख ना पाया मै
जीवन तुझ से
क्या पाया मै
क्यों
बुत
बना हो मै

बुत
बना हो मै
देखो
कैसा ताना मै
समझो
ना समझा मै
क्यों
बुत
बना हो मै


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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