मैं रोने चला हूँ
आज मैं रोने चला हूँ
गम था बसा दिल में
अस्कों को ले सहारे
में उन्हें धोने चला हूँ
आज मैं रोने चला हूँ ......
किसी ने कहा था
शायद .....
इस दिल ने वो सुना था
उसी कहने पर
अब मै चला जा राह हूँ
आज मैं रोने चला हूँ ......
लफ्जों की कमी थी
वो ही हम दोनों के बीच खली थी
दो किनारों सा मै ....
खुद ही खुद से
अब मै कटे जा रहा हूँ
आज मैं रोने चला हूँ ......
दर्द तो होता है
बिछड़ना फिर भी पड़ता है
दस्तूर ये जिंदगी
अब ऐसे ही वो निभता है
अब मै बड़े जा रहा हूँ
आज मैं रोने चला हूँ ......
आज मैं रोने चला हूँ
गम था बसा दिल में
अस्कों को ले सहारे
में उन्हें धोने चला हूँ
आज मैं रोने चला हूँ ......
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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