सौं तुम्हरी
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि
तुम्ह दगड़ी यौ
जीयूं बसांण छुं …….२
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि…
हे
मी थे तूमी भलु लाग
ईं आंखी थे तूमी भलु लाग
सौं तुम्हरी
तुम्हरी खुशी बाण
सुपिनिया मी सोंसार का
आच मी सझाण छुं …….२
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि…
तुम्ह थे
जीयूं बसांण छुं …….२
हे
मी थे तूमी भलु लाग
ईं आंखी थे तूमी भलु लाग
सौं तुम्हरी
तुम थे मिलणा बाणा
बाटों बाटों मा मी आच
तुम थे खोजानु छुं …….२
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि…
तुम्ह थे
जीयूं बसांण छुं …….२
हे
मी थे तूमी भलु लाग
ईं आंखी थे तूमी भलु लाग
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि
तुम्ह दगड़ी यौ
जीयूं बसांण छुं …….२
सौं तुम्हरी
ईं आंखी मिलेकि…
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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