ADD

वो राह


वो राह

दिल में बसा गम था तेरा
बाकी रहा उसमे मै ना रहा

आती रही सांस होने जुदा
धड़कता रहा वो गुमसुम खड़ा

सुस्त कदमों ने मुझसे कहा
कह दे उस राह को तू अलविदा

मोड़ के ना देख अब तो पीछे जरा
कोई ना अब उस मोड़ पर खड़ा

तू ही है रब अब तू ही है खुदा
अँधेरे कि और जब मै चला

होगा कोई वंहा मेरा खड़ा
आस का दीप मेरा जलाये हुये

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ