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बस दूर से देख


बस दूर से देख

देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब
ना ना करीब ना जाओ हकीकत बयां ना हो जाये
देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब

लगता है कितना सुंदर शांत खड़ा अकेला वो
उसकी उथल पुथल कोई ना सुन सकेगा दूर से
देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब

अचल है भग्या उसका उसकी पीड़ा कि तरह
दूर से देखा बस वाह ही निकलेगा मुख से इस तरह
देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब

इन्तजार पलायन आँसूं मिलेंगे सच्चे लोगों के बीच
दो चार पल का विचरण और गुजर जाना तेरा वंहा से
देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब

ना दिखेगा ना तू देख पायेगा तू उन आँखों से
तेरे आँखों में जो खूबसूरती का काला चस्मा चढ़ा
देखो उन हसीन वादियों दूर से साहिब

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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