घाम पड़यूँ च पाड़ा मा
घाम पाड़ों मा तजी गे वहलू
अपरुँ कि गिची दगडी ऊ अबरी बचाणु वहलू
घाम पड़यूँ च पाड़ा मा
ऊ बोबा ये बार खुभ घाम पौड़ी गे पाड़ों मा
कया मरणा कु घाम छे रे बाबा
गद्न्यान न्यारों थे बिस गे वहलू
म्यार अपरुँ गलौड़ी से तिसे कै गे वहलू
घाम पड़यूँ च पाड़ा मा
बांज पड्यां छन पुंगडा
बांज पड़ी यख मेरी कुटुम्बदरी
ना टक्का छीन ना क्वी यख अपरू
सब लगया छन माया की तिमदरी
घाम पड़यूँ च पाड़ा मा
कण बीस गैनी सब का कंठ
कण सूखे गैनी सबुका बिचार अ
कण झोल आई घाम कु क्ख्क भ्तेक
नि रैगे वैका सिवा क्वी यख ओर अ
घाम पड़यूँ च पाड़ा मा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ