झक झक लगी रैंदी छे बोई मेरी
झक झक लगी रैंदी छे बोई मेरी
कैर छे मिल बालपन जब बी उछेदी मिन
ऊं रौलों डंडा खोलों कफ्ला हिस्सोंला पक्यां
झट कैर मित्रा चल फाल मार तिपद चल्यां
बासँ अजांडू आमा डाली सर झम्पा मरायां
हौज पंतेद्र कन डुबकी मैरी की तिस बुझयाँ
बल्दू गौडू बकरु थे हाक दे चल घासु चरै
उजाड़ा पुंगडु मा खर फर वे हौलु निस्डे
खुद आंदी आंदी तेरी बोई बालपन वा उछेदी मेरी
तेर देलकनि अब भी रुळन्दी खटलु मा पौड़ी पौड़ी
झक झक लगी रैंदी छे बोई मेरी
कैर छे मिल बालपन जब बी उछेदी मिन
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ