ओ मेरी भैना
खुद मेरी तिथे....ऐ कि नि ऐ
ओ मेरी भैना
बालापण का खेल ते थे रुले की नि रुले
ओ मेरी भैना
याद आणु मी थै
रखड़ि कु धागो तेरु
ऊ बत्ती कु उजाळु मा
कपाली हल्दू लगणु तेरु
ओ मेरी भैना
छुटपन की खोड़ी
हमलू कै छे थोडी थोडी
भूकी हमरी पोट्गी
भूक मिटे हमुन ऊ तिमला तोड़ि
ओ मेरी भैना
दोई भैइयों की
एक बगेरेली मेरी भैना
सौरास जैकी भैना
भूली गे तू दोई मैता कु गैना
ओ मेरी भैना
खुद मेरी तिथे....ऐ कि नि ऐ
ओ मेरी भैना
बालापण का खेल ते थे रुले की नि रुले
ओ मेरी भैना
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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