कन बरखा पोड़ली ,कब बरखा पोडाली
कन बरखा पोड़ली ,कब बरखा पोडाली
ना तोड़ा दीदा,ना इन यूँ कटा ,यूँ डलियुं …… २
बरखा नि पौडी बल देबता रुस्युं चा
ऐ बार पाणि बिस्युं चा बल देबता रुस्युं चा
बांज पौड़ी धरती बल देबता रुस्युं चा
अपरू घार अपरू देश तिसालु बल देबता रुस्युं चा
नि मानी मिल मेर गलती बल देबता रुस्युं चा
बस मेर च ये हलगर्जि बल देबता रुस्युं चा
बस चल ल मेर यख मर्जी बल देबता रुस्युं चा
बस मि छों और्री कोई ना बल देबता रुस्युं चा
बल चेत जा रे अभी कख देबता रुस्युं चा
तेर निकल जाल रे सब गरमा कख देबता रुस्युं चा
जब तिसलु व्है जाली ये धरती कख देबता रुस्युं चा
बस मोरी जालू तब प्राणी कख देबता रुस्युं चा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ