भुल्दा मनखी
जिकोड़ो दियू ये माया संभाले ना
जुनि थे ये बाटा भाये ना …… २
दूर बाटा खूब भागी ये सहेरा कू …… २
मन नि लागि यख अखेरा कू
उड़ दा चखुला बल उड़ा दा जा
तिल संसार कथये न समझी पायो रे
भुल्दा मनखी बल तू भुल्दा जा
तिल अपरू परायु नि जनि पायो रे …… २
द्वि दिना की ये दुनिया रे …… २
फिर बी अक्ल दाढ़ तेरी नि आये रे
बगदा पानी बल बगदी जा
कैल तेथे यख ना समझी पायो रे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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