इच्छायें मरती नहीं
इच्छायें मरती नहीं ...... २
पलती रहती,बढ़ती रहती है, वो दबती नहीं
इच्छायें मरती नहीं
ले के पंख वो आसमानी उड़ती रही
इस आत्मा से जुड़ती रही वो घटती नहीं
इच्छायें मरती नहीं
वजहों का है वो सारा तना-बना
इस मुसाफिर खाने में फिर तेरे आने का बहाना
इच्छायें मरती नहीं
झुकाव है सबों का उस और ही
लालसा, वासना बंध है ये कुछ और ही
ये मरती नहीं ये मरती नहीं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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