अब की बार इनि मिलोंलू
अब की बार इनि मिलोंलू
ये सुख थे इन दुःख का दगडी
ऐ बार ऐजा ये निंदी इन आँखों मा
बिगेर आँसूं ढोलिकी
अब की बार मिलोंलू ……
तरसलु ये सरीर मेरो
किले हुन ये मेरो जियू थे तर्पणू
कन और्री कब बरखली ये बरखा
वो बीजाणु कैथे हुलु हाक देणु
अब की बार मिलोंलू ……
मि त अब यख इनि गिजि गियूं
बल अब रेगे रे बाकि तेरो गिज्याणू
तेरो आणु इनि आणु व्हाई सदनी कू
मि देखदी रेग्युं रे बस सदनी तेरो जाणू
अब की बार मिलोंलू ……
अपरी मा ही ग्याई रे
कैल विंथे अब तक देख ना पाई रे
सुकी सुकी डाली वा
द्वि चार ही हैरा पाता बस गिण पाई रे
अब की बार मिलोंलू ……
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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