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भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया



भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया

कखी मा धर्युं च सबुन यख
मुंड नि रेगे च बाकी अब ये दुनिया

मांगी नि छे ना ही चुरै छे
नानी ही छे अप्डी ही जो बनै ये दुनिया

इन ना लुकवा देखण द्याव अब तुम मिथे
आंदी च नजर मिथे मिसे लुकैई ये दुनिया

सब कुछ थिक थक च अधमुख मा हमरौ
लिपोड़ी सौंसार से बचै ये दुनिया

लाज नि ओंदी तुम थे ऐथे अपरा बातोंदि
गैरों का घाम दगडी कमै ये दुनिया

आज इं गैल्यों परी भौत नाज करदा ना तुम
भौल तुम ही बोव्लला ईं बिराणी हैगे ये दुनिया

रोजी हिट दूँ मि अपरो द्वि हाथ झटकादि
कबै भ्तेक मेर बाटा मा ऐ जांदी छे ये दुनिया

झणि किलै औझी ऐ जांदी ऊ हाक लगैकि
सौ बारी मेर देलि से भागे ई मिल ये दुनिया

माशाण मा अपड़ा इशार नचैल वा मिथे अब
लट्टू की जनि अपरी से नचैई ये दुनिया

तुम त भौत खुश छं सैर कु मौल्यार दगडी
प्रवासियों खुश रयां तुमरि ही सजैई ये दुनिया

दुनिया थे बुरो हमुन बनै दे भैजी
भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया
भौत अछि छे वैकि बनैई ये दुनिया

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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