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किलै कि समज मा नि ऐई


किलै कि समज मा नि ऐई

अबी बी मिथे मि
किलै कि समज मा नि ऐई
बिरदयूं ही रेगे मि
किलै कि खुद थे मि खोज नि पाई
अबी बी मिथे मि ........

ये आँखा बी नि छन मेरा
वे बी व्है गे अब बिराण
खोज्नु छे वै थे पैल मिथे
वैल खोजी दयाई पैल ऐ जमणा
अबी बी मिथे मि

कै पर करुलो मि भरोसा
जबै अपरि परी भरोसा नि राई
धोक दयूं छे मिल अपरि थे छकैकि
अब पछतानु छे तू अब किलै कि
अबी बी मिथे मि

देवों की भूमि छे वा मेरी पियारी
मि वै दगडी बी लाडा पियार नि कैर पाई
अब रिटनु छों मि यक्ला यकुलू
कख बी मिल अब धार नि पाई
अबी बी मिथे मि

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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