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क्द्गा सौली दगडी




क्द्गा सौली दगडी

क्द्गा सौली दगडी
वि अप्डी कथा लगे देंदी
नानू सु जियू मेरो
कैकि बी छूईयों मा झट ऐजांदू
क्द्गा सौली दगडी ......

बल इत्गा ई सीख मिल
बल इत्गा मिथे समझ मा आई
फिर बी विंकी मुखडी
मेरा सुप्निया मा किलै की ऐ जांदी
क्द्गा सौली दगडी ......

झट रुसै झट मने मि जांदू
चट विंकी बगलि मा जा की बैस बी जांदू
फिर बी बालपण परित वा किले बिसरी जांद
ज्वानि का बाटा मा वा किले हीटे नि आंदु
क्द्गा सौली दगडी ......

सब थे पता चल जांदी
वींकी ठौर कख और्री क्या च
परी नानू जियू सी जियू मेरो
फ़िक्र कैकि तू इनि उड़दी रैंदु
क्द्गा सौली दगडी ...... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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