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सबी कुच हुँदु च यख रे


सबी कुच हुँदु च यख रे

सबी कुच हुँदु च यख रे
तू किलै की रुंदु च यख
तेरो कया गाई तेन कया लाई
सबी कुच हुँदु च यख ......

रैगे तू बस अपरा दुःख मा
रैगे तू बस अपरा सुख मा
आंसूं हैंसी को भेद फंसी बीच मां
सबी कुच हुँदु च यख ......

देखणाकुन आँखा दिया छन
सोचणाकुन खोज्नाकुन को बुधि रे
कया देखणा सोचणा कया खोज्ना छन तुम
सबी कुच हुँदु च यख ......

सुदी सुदी ग्याई सुदी बोल द्याई
बोल्ण पैल तिल तीळ मात्र बिचारा ना काई
तेरो मनु जन्म इनि ही सुदी ग्याई
सबी कुच हुँदु च यख ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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